मृत्यु एक सत्य©सरोज गुप्ता

 सारगर्भित सत्य मानुष, 

स्वीकार नहीं कर पाया है । 

झूठी तृष्णा सा जीवन ये

क्षणभंगुर सी काया है ।। 


मिथ्या सम संबंध सभी हैं

यहाँ कभी अमरत्व नहीं है, 

चिरनिद्रा में सब सोयेंगे

यह मानुष तन सब खोयेंगे, 

यह सब लिखा लिखाया है ।

क्षणभंगुर ये काया है ।। 


जन्म मरण बस चक्र मात्र इक

सारे सुख साधन हैं भौतिक, 

गीता का संपूर्ण तथ्य है

जीवन मिथ्या मृत्यु सत्य है, 

फिर मानव क्यूँ भरमाया है । 

क्षणभंगुर ये काया है ।। 


©सरोज गुप्ता

टिप्पणियाँ

  1. अद्भुत रचना,शास्वत सत्य लिखा है आपने मैम 🙏

    जवाब देंहटाएं
  2. जीवन सत्य से परिपूर्ण उत्कृष्ट सृजन 🙏🏼🙏🏼💐💐

    जवाब देंहटाएं
  3. यथार्थ सत्य लिखा आपने 🙏🏻🙏🏻

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कविता- ग़म तेरे आने का ©सम्प्रीति

ग़ज़ल ©अंजलि

ग़ज़ल ©गुंजित जैन

पञ्च-चामर छंद- श्रमिक ©संजीव शुक्ला 'रिक्त'