रोटियां ©सौम्या शर्मा

 भूख को फिर मुंह चिढ़ाती रोटियां!

क्यूं नहीं ये बाज आती रोटियां!!


हर तरह के कर्म हों इनके लिए !

फिर कभी,ना हाथ आती रोटियां!!


बेबसी का वो नजारा क्या कहें!

खूं से पटरी पर नहाती रोटियां!!


ए खुदा मेहनतकशों को दे सुकूं!

दे उन्हें इज्जत कमाती रोटियां!!


जब भी देना,नीयतों को तौल कर!

यूं ही अब हमको सुहाती रोटियां!!


खा लिया है, पेट भर ही जाएगा!

अब कहां मां है,खिलाती रोटियां!!


मन की पीड़ा अब कहें किससे यहां!

जाने क्या क्या हैं कराती रोटियां!!

     © सौम्या शर्मा

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