छठ©अनिता सुधीर

 करें सूर्य आराधना, आया छठ का पर्व।

समरसता के भाव में, करे विरासत गर्व।।



कार्तिक मास सदा उर भाए।

      त्योहारों में मन हर्षाए।। 

शुक्ल पक्ष की षष्ठी आई।

       महापर्व की खुशियाँ छाई।। 

सूर्य उपासन आराधन का।

      पर्व रहा संस्कृति गायन का।। 

छिति जल पावक गगन समीरा। 

         पंच तत्व को पूज अधीरा।।

जुड़े धरा से सबको रहना। 

       यही पर्व छठ का है कहना।। 

सूप लिए जब चले सुहागन।

         प्रकृति समूची लगे लुभावन।। 

ईखों से जब छत्र सजे हैं। 

        अंतर्मन के दीप जले हैं।।

सूरज डूबा जब जाएगा।

          नवल भोर ले फिर आएगा।।

अर्थ निकलता त्योहारों से।

           जुड़े रहे सब परिवारों से।।


परंपरा की नींव में,जीवन का है सार।

गूढ़ अर्थ समझे सभी,मना रहे त्योहार।।


©अनिता सुधीर आख्या

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