प्रणाम मातु भारती ©संजीव शुक्ला
छंद-पंच चामर
चरण -4, मात्रा -24, वर्ण -16
जगण रगण जगण रगण जगण +S
प्रणाम मातु भारती
(रिक्त प्रवाह से )
नमामि मातृभूमि हे ! सदा गिरा उचारती l
नमामि जन्मदायिनी सुधा सनेह वारती ll
नमो सुगंधिता मृदा अपार सुक्ख कारणीं l
नमामि शीतलांचला समूल दुक्ख हारणीं ll
हिमादि श्वेत उज्ज्वला सुमेरु भाल शृंखला l
तरंग गंग अंचला........ सुगंध वायु चंचला ll
अनेक धर्म एकता.......अखंड रूप गर्विता l
अनेक वेश भाषिता शुभा, प्रभा, सुवर्णिता ll
अथाह सिंधु ज्वार धार पाद आ पखारती l
ज्वलंत सूर्य रश्मि नित्य आ छटा निहारती ll
समस्त विश्व वंदना करे...... उतार आरती l
प्रणाम 'रिक्त' का सदैव कोटि मातु भारती ll
© संजीव शुक्ला 'रिक्त'
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Adbhut adutye Sirji 🙏👌🙏
जवाब देंहटाएंMaa bharti ko parnam 🙏🙏
अत्यंत उत्कृष्ट एवं ओजपूर्ण सृजन 🙏🏼🙏🏼💐💐
जवाब देंहटाएंनमामि मातु भारती 🙏🏼🙏🏼🌺🌺🇮🇳🙏🏼
नमामी माँ भारती । उत्कृष्ट रचना sir
जवाब देंहटाएंनमन है आपकी लेखनी को 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत ही उत्कृष्ट सुंदर छंद रचना 🙏🏻
जवाब देंहटाएंअत्यंत उत्कृष्ट एवं ओजपूर्ण सृजन... नमन 🙏🙏🙏🌹🌹🌹
जवाब देंहटाएंप्रणाम🙏🙏नमन मातु भारती
जवाब देंहटाएंभारत माँ को प्रणाम 🙏🙏 उम्दा रचना
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