पुत्र ©सरोज गुप्ता

 पुत्र के भी वेदना को जानिए,

कष्ट होता है उसे भी मानिए ।

मन में चिंतन भाव लेकर वो रहे

घावों को उसके भी तो पहचानिए ।।


यदि इन्हें हम इक उचित आकार दें,

प्रेम औ ....कर्त्तव्य के संस्कार दें ।

राष्ट्र के आदर्श नायक ये बनेंगे

यदि उचित मूल्यों भरा परिवार दें ।।


उत्तराधिकारी यदी वो पितृ का,

साथ में बोझा लिये दायित्व का ।

निर्वहन करने की खातिर वो चला

छोड़ कर सुख गेह औ अपनत्व का ।।


ग्रीष्म, वर्षा, शीत सह हर वेष में

प्रेषित न कर वो दुख किसी संदेश में ।

बस दिखाता है खुशी हर रोज अपनी

चाहें दुख लाखों सहे परदेश में ।।


भाई है वो बहना का पहरेदार बनकर,

बेटा है वो माॅं बाप का पतवार बनकर ।

जब देश के हित में चला लड़ने लड़ाई

माॅं भारती का इक सिपहसालार बनकर ।।


होते नहीं हैं पुत्र सारे व्याभिचारी,

ये भी होते हैं ..बड़े ही संस्कारी ।

क्यूॅं भला थोपें सदा हम दोष इन पर

इनको गढ़ना है हमारी जिम्मेदारी ।।


        ©  सरोज गुप्ता

टिप्पणियाँ

  1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका तुषार 🙏🌹

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  2. अत्यंत संवेदनशील एवं भावपूर्ण पंक्तियाँ 💐🙏🏼

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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