जीवन तुमसे गुंजार प्रिये ©नवल किशोर सिंह

 तुम आशा का संचार प्रिये।

तुमसे जीवन गुंजार प्रिये। 


दूर देश के दो खग प्यारे। 

उड़ते योजित पंख सहारे।

भावों के बंधन में बँधकर,

दो दिल अब एकाकार प्रिये।  


दूर गगन का खाली कोना।

प्रेम-सितारे उसमें बोना।

जुगनू जगमग भर मुठ्ठी में,

करती पथ को उजियार प्रिये। 


वीरान हृदय था मरुथल-सा। 

आना तेरा तब कलकल-सा। 

सिकता में ज्यों सार बसाने,

सोता कोई रस-धार प्रिये। 


कुसुमित पुष्पों से बाग हरा।

मधुबन मलयज अनुराग भरा। 

पतझड़ के सूने आँगन में,

हुलसे अब हरसिंगार प्रिये। 


गीत गज़ल फिर छंद बनी तुम। 

भावों का मकरंद  बनी  तुम। 

छेड़ चली साँसों का सरगम,

ले पायल की झंकार प्रिये। 


मन खोया तेरे अलकों में। 

तुम बसती चातक पलकों में। 

घुल जाती हर राग-रंग में,

बनके मोहक अभिसार प्रिये। 


खिलती है जीवन की क्यारी। 

कुसुमित कोमल किल-किलकारी। 

गढ़ती फिर से नव-जीवन को,

रूप रंग भी निज हार प्रिये। 


-©नवल किशोर सिंह


टिप्पणियाँ

  1. उत्कृष्ट गीत सर❤️❤️🙏🙏👏👏

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  2. अति सुंदर एवं मनमोहक गीत सृजन 🙏🏼💐💐

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  3. बहुत सुंदर मनभावन सृजन 👌👌🙏🙏🌹🌹🌹

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