दो अक्टूबर ©अनिता सुधीर

 रेख बड़ी हो या छोटी हो, रखती दोनों अलग महत्व। 

आजादी के आंदोलन में, सबका अपना है अमरत्व।। 


गांधी व्यक्ति नहीं था कोई, गांधी था तब एक विचार। 

लाल बहादुर साथ खड़े थे,जनता को देने अधिकार।।


दो अक्टूबर धन्य रहा है, जन्में भारत के दो लाल। इतिहास गवाह सदैव रहा, इनके जैसी नहीं मिसाल।। 


इन अमर सपूतों के कारण, भारत देश हुआ आजाद। त्याग समर्पण रग-रग में भर, करते वंदे माँ का नाद।। 


असहयोग में गांधी कहते,करो मरो से कर लो प्रीति। 

मरो नहीं तुम मारोगे अब, लाल बहादुर की थी रीति।।


वर्षों का संघर्ष रहा था, देश हुआ था तब आजाद। 

और विभाजन बनी त्रासदी, सपनों को करती बर्बाद।।


रामराज्य का सपना देखे, गाँधी ने जब त्यागे प्राण।

लाल! जवान किसान लिए फिर, करते भारत नव निर्माण।।


ऋणी रहेंगे भारत वासी, जिनके कारण दिन ये आज।

उच्च विचार रहा जो जीवन, लाभान्वित हो नित्य समाज।।


लाठी चश्मा और सादगी, आज माँगती है उपहार।

पूर्ण करो आजाद स्वप्न को, रामराज्य पर कर अधिकार।।


-© अनिता सुधीर आख्या

टिप्पणियाँ

  1. अत्यंत उत्कृष्ट छंद सृजन, लाठी चश्मा और सादगी, आज माँगती है उपहार...🙏नमन

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  2. अत्यंत उत्कृष्ट छंद रचना, अद्भुत सृजन 👏👏🌹🌹

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  3. अत्यंत उत्कृष्ट एवं प्रभावशाली सृजन 🙏🏼🙏🏼💐

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  4. वाह्हहहहहहह मैम... ❤️❤️❤️❤️❤️ ,क्या बात💐💐💐। सार्थक सृजन 🙏🙏🙏

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