लघुकथा पोशाक ©अनिता सुधीर आख्या
चाय का कप पकड़े आरती किंकर्तव्यविमूढ़ बैठी थी।
वेदना उसके मुख पर स्पष्ट दृष्टिगोचर थी
राजेश! क्या हुआ आरती
पत्नी को झकझोरते हुए बोला..
आरती अखबार राजेश की ओर बढ़ाते हुए.
किस पर विश्वास करें और सगे भी ?
पाँच माह की बच्ची क्या पोशाक पहने ,ये समाज निर्धारित कर दे.
कहते हुए
बेटी के कमरे की ओर चल दी...
© अनिता सुधीर आख्या
हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंशानदार 🙏
जवाब देंहटाएंUmda rachna ma'am 🙏🙏
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में अत्यधिक मर्म समेटे अद्भुत रचना🙏🙏नमन
जवाब देंहटाएंनमन मैम 🙏
जवाब देंहटाएंबेहद मर्मस्पर्शी 🙏
बहुत कम शब्दों में अत्यंत संवेदनशील एवं गहन भाव समाहित किये हुए भावपूर्ण रचना 💐💐🙏🏼
जवाब देंहटाएंअत्यधिक ज्वलंत प्रश्र लिए हुए बेहद संवेदनशील रचना 🙏🙏🌹🌹🌹
जवाब देंहटाएंबहुत सही 🙏🏻
जवाब देंहटाएंबहुत सही 🙏🏻
जवाब देंहटाएंBeautifully expressed
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