मैं तुम्हारा, तुम मेरी प्रिय ©तुषार पाठक

 Sabse phele maa sharde ko namam

aur saath mai maa lekhni ko namam

mai apni rachna padhne ja raha hoo 




मैं चंद्रमा की रात-सा, तुम हो मेरी चकोर प्रिये,


मैं उड़ती मदमस्त पतंग, तुम ‌हो मेरी डोर प्रिये।




मैं शतरंज का राजा, तो तुम हो मेरी रानी प्रिये, 


मैं शब्दों की माला तो तुम हो मेरी कहानी प्रिये।




मैं कुल्हड़ की चाय, तुम हो कॉफ़ी महकती प्रिये, 


मैं स्थिर सा एक पर्वत, तुम हो चिड़िया चहकती प्रिये।




मैं मेहनत की बात, तुम हो उसका परिणाम प्रिये,


मैं भागता काम-सा, तो तुम हो मेरा आराम प्रिये।




मैं होठों की बात, तुम हो आँखों का ख़्वाब प्रिये,


मैं उलझा एक सवाल, तुम हो मेरा जवाब प्रिये।




मैं खोया इतिहास-सा, तुम मेरी हो भूगोल प्रिये,


मैं लबों की ख़ामोशी, तू ही कुछ अब बोल प्रिये।




मैं चुभता एक नश्तर-सा, तुम हो मेरी जंग प्रिये, 


मैं दिवाली की जगमग तुम हो होली का रंग प्रिये।




मैं हूँ एक अंश और तुम हो मेरी ज़िंदगी प्रिये, 


मैं चलता कर्म-सा तुम धर्म की हो बंदगी प्रिये।





yeh meri kavita ki akhri pakti padhta hoo




मैं हूँ एक श्राप और तुम हो मेरा वरदान प्रिये,


मैं हूँ तेरी धड़कन और तुम हो मेरी जान प्रिये।




dhanyabad aaap sabhi ka




© तुषार पाठक


© तुषार पाठक

टिप्पणियाँ

  1. वाह क्या बात है बेहद खूबसूरत रचना 💐💐💐

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  2. ❤️❤️❤️❤️🥰🥰🥰😍😍😍😍🤩waaaaaah sbse behtreen rachna hogi ye apki..kya kmaal ka likha mastttt,❤️or itti achi hindi 🙏🙏😊

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  3. Bohot khoob bhaiya👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻😊

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  4. क्या कहने बहुत ख़ूब वाऽऽह 👌👌👌👌

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