प्रार्थना : माँ शारदे ©प्रशान्त
आधार छन्द - गंगोदक
विधान - रगण X ८
शारदे माँ कृपा चाहिये आपकी, लेखनी कर्म-निष्ठा निभाती रहे l
श्रेष्ठ शब्दावली,भाव रत्नावली , शिल्प संसर्ग छन्दादि लाती रहे ll
ज्ञान समृद्धशाली रहे सर्वदा, सत्य-मिथ्या विभेदी बने नित्यदा l
कामना की करें पूर्ति माँ शारदा, लेखनी शोधकर्ता बनाती रहे ll
पारदर्शी महा-सूक्ष्मदर्शी बने, भावना की सदा संस्पर्शी बने l
सज्जनों की करे वन्दना लेखनी, चेतना दुर्जनों में जगाती रहे ll
सैनिकों नौजवानों किसानों तथा देशवासी जनों की बने भावना l
मुक्त आकाश में शब्द-तारे भरे , लेखनी मातृ-भू को सुहाती रहे ll
धर्मवादी रचे, सत्यवादी रचे , राष्ट्रवादी व आदर्शवादी रचे l
काव्य हिन्दी महाक्रान्तिवादी रचे , राष्ट्रभाषा ससम्मान गाती रहे ll
काव्य के रूप में मित्र ऐसा मिला , वेदना, हर्ष दोनों सुसंतृप्त हैं l
पूर्ण तल्लीन हो लेखनी यूँ चले , शारदे-हस्त आशीष पाती रहे ll
© प्रशान्त
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अत्यंत मधुर उत्कृष्ट स्तुति🙏👏
जवाब देंहटाएंउत्तम स्तुति
जवाब देंहटाएंAdbhut adutye
जवाब देंहटाएंMaa sarde ko naman 🙏🙏
अति सुंदर स्तुति रचना, स्वर और मिश्रण 💐
जवाब देंहटाएंअप्रतिम स्तुति सर..बहुत ही अद्भुत 🙏
जवाब देंहटाएंअत्यंत उत्कृष्ट माॅं शारदे की स्तुति अत्यंत मनभावन स्वर में 👏👏👏🌹🌹🌹
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएं 🌹🌹
Jai ho 🙏🙏
जवाब देंहटाएंअद्भुत मधुर रचना और गायन 🙏🏻
जवाब देंहटाएंअत्यंत उत्कृष्ट गंगोदक छंद सृजन 🙏🏼💐💐💐
जवाब देंहटाएंअत्यंत मधुर एवं मनमोहक स्वर 💐💐