गणेश वंदना ©गुंजित जैन
रूप एकदंत है, उदारता अनंत है।
वक्रतुंड है गणेश, शीत में वसंत है।।
विघ्न को हरें सभी, गणेश शूपकर्ण हैं।
ध्यान में झुके हुए समस्त शब्द-वर्ण हैं।।
लोक की पुकार को प्रभू विनायका सुनो।
यातना सभी हरो प्रभो प्रसन्नता चुनो।।
चित्त में सदैव ही गणेश की प्रभा रहे।
शुष्क प्राण में सुरम्य ओज की विभा रहे।।
वेदना विषाद में विक्षुब्ध मातु भारती।
रूप धार लो प्रभो, धरा सदा पुकारती।।
ज्ञान बुद्धि हर्ष का, उमंग का प्रवेश हो।
शब्द भाव चित्त में गणेश ही गणेश हो।
© गुंजित जैन
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अत्यंत अद्भुत अद्वितीय गणपति स्तुति
जवाब देंहटाएंसादर आभार दीदी❤️🙏
हटाएंसुंदर गणपति वंदना 🙏
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट सृजन👏👏और मनमोहन प्रस्तुति👏👏
जवाब देंहटाएंसादर आभार भाई जी🙏
हटाएंअद्भुत अद्भुत अद्भुत सृजन .... ❤️❤️❤️❤️
जवाब देंहटाएंसादर आभार भाई जी🙏
हटाएंWahhhh 🙏🙏
जवाब देंहटाएंसादर आभार🙏
हटाएंBahut Sundar bhai
जवाब देंहटाएंGanpati Bappa morya 🙏🙏
बहुत सुंदर गणेश स्तुति 🌸🌸
जवाब देंहटाएंअद्भुत, अद्वितीय गणेश वंदना, सुंदर स्वर
जवाब देंहटाएंसादर आभार मैम🙏
हटाएंवाह्हहहह
जवाब देंहटाएंअति उत्तम एवं मनमोहक स्तुति 🙏🏼🙏🏼💐💐
जवाब देंहटाएंसादर आभार🙏
हटाएंअद्भुत
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत सुंदर रचना और मनोहर प्रस्तुति 😊❤️❤️😇
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