ग़ज़ल - (नई-नई) ©प्रशान्त

 बहरे मज़ारिअ मुसमन अख़रब

मकफूफ़ मकफूफ़ महज़ूफ़

मफ़ऊलु फ़ाइलातु  मुफ़ाईलु फ़ाइलुन

 221 2121 1221 212


क्या-क्या बदल रही है मुहब्बत नई-नई l

रंगत हुई हसीन..........तबीयत नई-नई ll


दिल को लुभा रही है निग़ाहों की गुफ्तगू...

धड़कन बढ़ा गई है....... शरारत नई-नई ll


कुछ आप, कुछ मिज़ाज जुदा सा है आपका...

आई है हाथ आपके......... दौलत नई-नई ll


सरहद अज़ीब है..... मेरे हिंदोस्तान की......

हर रोज़ मांगती है..........शहादत नई-नई ll


आदम नकाबपोश कहीं खौफ़ मौत का.....

आई 'ग़ज़ल' जहां भी..... क़यामत नई-नई ll 


क्या-क्या सिला मिला जो तरक्की हुई बहुत...

बंजर जमीन और..........इमारत नई-नई ll

© प्रशान्त

टिप्पणियाँ

  1. बेहद खूबसूरत बेहद रूमानी गज़ल 👌👌👌👏👏👏

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  2. बेहद खूबसूरत और लाजवाब गज़ल 👌👌👌

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  3. बहुत बहुत धन्यवाद .... आभार आप सभी का 💐💐💐💐🙏🙏🙏🙏

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