है! © सौम्या शर्मा
हार क्यों मानें जिंदगी तुझसे?
हममें भी जूझने का हौसला है!
चाहे ग़म दे या दे खुशी हमको!
हमको मालूम है ये सिलसिला है!!
कुछ तो बात होगी मुझमें भी!
साथ जो आज मेरे काफिला है!
राहों से अब नहीं घबराती मैं!
मुझको मंजिलों का पता है!
वो जो बख्शे मुझे खुदा मेरा!
मुझको दुनिया से क्या गिला है!
मुझको जब वो मिला नसीबों से!
ऐसा लगता है जैसे सब मिला है!
© सौम्या शर्मा
अत्यंत ओजपूर्ण एवं आशावादी रचना 👌👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद
हटाएंBahut Sundar ma'am 👏👏👌
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद भाई 🙏
हटाएंबहुत उम्दा👌👌
जवाब देंहटाएंBeautiful
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद मैम❤️🙏
हटाएंआश से परिपूर्ण सृजन 👌👌👌👏👏👏
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद दीप्ति जी 🙏
हटाएंवाह्ह 💐
जवाब देंहटाएं