श्रीकृष्ण ©संजीव शुक्ला

 छंद - झूलना 

चरण - 4 (समतुकांत )

मात्रा -26 

यति - 7, 7, 7, 5 , ( चरणांत -  गुरु लघु )

संकट हरण, मंगल करण, पंकज चरण, घनश्याम l

राधा रमण,श्यामल वरण, श्रीपद शरण, सुख़ धाम ll

तम कष्ट हर,उज्ज्वल प्रखर,सुख़ शांतिकर,शुभ नाम l

उद्धार  कर,  भव  ताप हर,  सुंदर  सुघर,  अभिराम ll


मृदु वेणु सुर,मोहक मधुर,उत्तम विदुर, प्रभु रूप l

शोभा मुकुर, करुणा प्रचुर , हे कृपापुर, सुर भूप ll

मति व्याप्त तम,पातक परम्, हर मोह भ्रम,भव कूप l

ब्रम्हाण्डपति, कर शुद्ध मति,दे परम् गति,त्रुटि सूप ll


तन पीत पट, त्रैलोक्य नट, अर्कजा तट, नित रास l

करुणा नयन, शोभा यतन,सरसिज चरन ,विश्वास ll

प्रभु कर कृपा, निर्बल सखा, अंतर सदा, कर वास l

अति  दीन मैं, मति हीन मैं,  आधीन मैं,  हर त्रास ll

(मौलिक, स्वरचित )


 © संजीव शुक्ला'रिक्त'

टिप्पणियाँ

  1. उत्कृष्ट झूलना छंद सर🌸🙏🌸श्रीकृष्ण

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  2. अद्भुत, अत्यंत उत्कृष्ट झूलना छंद 👌👌👌🙏🙏

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  3. अद्भुत अतुल्य अनन्य झूलन छंद सृजन 👌👌👌👏👏👏🙏🙏

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