काशी ©विपिन बहार
#गीतिका
#मंगलमाया छंद
प्रत्येक चरण 22 मात्राएं(11-11 पर यति)
भोले की जयकार,हमारे काशी में ,
पूजा है साकार,हमारे काशी में ।
तर होते सब पाप,यहाँ पर जो आते,
पावन गंगा धार,हमारे काशी में ।
संगी साथी साथ,चले आओ मिलकर,
नौका नदिया पार, हमारे काशी में ।
तुलसी मानस धाम,लिए संकट मोचन,
भावों का अंबार, हमारे काशी में ।
दोहावली कबीर,लिए कलम सिपाही,
कविता की झंकार,हमारे काशी में ।
जीवन का सब ज्ञान ,यहाँ सब पाते है,
जीवन का है सार,हमारे काशी में ।
जो भी करे निवास,यहाँ का हो जाए ।
खुशियों की बौछार, हमारे काशी में ।
© विपिन"बहार"
Bahut Sundar bhaiya ji 👏👏🙏
जवाब देंहटाएंजी बेहद शुक्रिया आपका👏
हटाएंअति सुंदर एवं सार्थक सृजन 👌👌👌👏👏👏🙏
जवाब देंहटाएंजी बेहद शुक्रिया आपका💐
हटाएंअति सुंदर छंद 👌👌
जवाब देंहटाएं💐💐
हटाएंअति सुन्दर 👌👏
जवाब देंहटाएंजी आभार आपका💐
हटाएंसुंदर सृजन 💐
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