गीत ©गुंजित जैन

 रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं🙏🙏


रेशमी जिस डोर में रिश्ते सुरक्षित हैं सभी के,

पूर्ण रिश्तों का वही सिमटा हुआ आधार राखी,

भाव मिश्रित हैं बहन के, इन सुकोमल राखियों में,

एक भाई के हृदय का, है समूचा सार राखी।


जब दुखों में ही उलझकर, मुस्कराहट जूझती है,

हर घड़ी जीवन-मरण की, नव पहेली बूझती है,

मन रुदन करने लगे जब, चित्त भी डरने लगे जब,

तब कलाई पर बँधी राखी बहन की सूझती है।

मुश्किलों के सागरों में, जब कभी ओझल हुआ हो,

नाव उनमें तब बहन है, और है पतवार राखी।


दौर कठिनाई भरा जब, रास्ते में ही अड़ा हो,

भीति का मुख जब जगत में, हौसले से भी बड़ा हो,

वह कलाई देखकर तब एक मुख ही याद आता,

जो कहीं पर आज उसकी, जीत को तत्पर खड़ा हो,

सरहदों पर जब कभी भी, टूटती उम्मीद लगती,

इन रगों में हौसले का, तब करे संचार राखी।


नित्य लड़ना, नित झगड़ना, सब बहुत नादान लगते,

साथ देकर, साथ रहकर, पथ सभी आसान लगते,

मुस्कराहट या हँसी हो, या नयन में कुछ नमी हो,

हर पहर भाई बहन हर दुक्ख से अनजान लगते,

स्नेह का यह दिव्य बंधन, शुद्धता से ही भरा है, 

प्राण है भाई-बहन का, है सकल संसार राखी।

© गुंजित जैन

टिप्पणियाँ

  1. बहुत , बहुत ही सुंदर 👌👌👏🏻👏🏻👏🏻

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  2. अहा ...... सुंदर , सारगर्भित गीत ......वाह्हहहहहहहहहहहह 👌👌👌❤️❤️❤️

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  3. अति सुंदर एवं हृदयस्पर्शी गीत सृजन 👌👌👌👏👏👏

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