बेटे और पापा का रिश्ता ©तुषार पाठक

  कितना अज़ीब है न बेटा और पापा का रिश्ता, यहाँ प्यार से ज्यादा तक़रार दिखती है, लड़को को पापा से हज़ार शिकायत दिखती है, दोनों   में  इतनी नही बनती की आज तक पापा बेटे से  गले मिले हो । एक तरफ़ पापा की सख्ती में अपने बेटे को उसकी मज़िल तक पहुँचाने  की चाह छिपी होती है, तोह वही लड़को की ज़िद्द में उनके माँ पापा का नाम रोशन करने की इच्छा होती है।


कितना दिलचस्प है न...  पापा और बेटे में फ़ोन पर बात २ मिनट से ज़्यादा नही होती। पापा का दिल पढ़ना किताब पढ़ने जितना आसान भी नही।


पापा वह है जो दिल के अरमानों को बिना बोले पूरा कर देते है, पापा वह है जो अपने लिए कभी कुछ नही माँगते यहाँ तक की वह अपने लिए नही अपने बच्चो के लिए पाप करने के लिए तैयार रहते है। बेटा देखता है अपने पापा को वही पुराने कपड़े पहने हुए त्यौहार पर खुद के लिए छोड़ सब के लिए कुछ न कुछ खरीदेते हुए,वह भी चाहता है कि पापा की ख़्वाहिश को पूरा करे ।


कहते है न मुसीबत की क्या मज़ाल... पापा का साया ही काफ़ी है। पापा वह अनमोल हीरा है जिसका कोई मोल नही।


पापा और बेटे का रिश्ता कुम्हार और कच्चे घड़े जैसा है.. कुम्हार की ठोकर ऊपर से दिखती है, अंदर से दिया गया सहारा दिखाई नहीँ पड़ता l

© तुषार पाठक

टिप्पणियाँ

  1. बेहद खूबसूरत कहानी एक पिता और पुत्र के रिश्ते की 👌👌👌❤❤

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  2. पिता एवं पुत्र के रिश्ते को बड़ी खूबसूरती से परिभाषित किया है आपने तुषार 👌👌👌👏👏👏

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  3. माँ-बाप का साया सर पर छत के जैसा होता है। छत नहीं तो ज़माने भर की मुसीबतों को हमारा पता मिल जाता है।

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  4. Gjbbb भाई जी ,..अद्भुत लेखन है 🙏
    सही कहा कुम्हार ओर उसके कच्चे उसके कच्चे घड़े सा रिश्ता है 💕

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  5. Bahut sahi aur sacchi baat 👌👌👌👏🏻👏🏻✍🏻👍🏻

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  6. मुझे तो कहानी नहीं लगती है वास्तविक जिंदगी को रेखांकित कर देना बहुत ही मुश्किल है मगर आपने कम शब्दों में भावनाओं को पीरो कर आहत कर दिया है! ढेरों शुभकामनाएं!
    🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏

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