ग़ज़ल ©प्रशान्त
मुक़द्दर हर क़दम पर इक नया तूफ़ान देता है l
ख़ुदा जब-जब परख़ता है, नई पहचान देता है ll
उतर जाता है चेहरा और आंखें सच बताती हैं...
अगर झूठी सफाई झूठ पर इंसान देता है ll
सनम से दूर जाने का हमारा दिल नहीं करता...
ये पापी पेट ही है जो सफ़र वीरान देता है ll
ये सारी दौलतें , ये रौनकें फीकी तेरे आगे....
मेरे बच्चे तेरा दीदार ही मुस्कान देता है ll
हमें ये नौकरी परदेस तक भी खींच लाई है....
नफ़ा का बे-वजह अरमान भी नुक़सान देता है ll
मैं अपने साथ अपने देश की मिट्टी ले आया हूँ....
सुकून-ए-दिल, सुकून-ए-रूह हिन्दोस्तान देता है ll
© प्रशान्त
बेहद शानदार 👌👌👌👌
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏😊😊😊
हटाएंबेहतरीन मर्मस्पर्शी गज़ल 👌👌👌👏👏👏
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मैम🙏🙏🙏🙏
हटाएंबेहतरीन ग़ज़ल👌👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद गुंजित जी🙏🙏
हटाएंबहुत बहुत धन्यवाद तुषार जी 🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंUmda Sirji 🙏🙏
जवाब देंहटाएंWahhh beautiful
जवाब देंहटाएंक्या कहने ❤️❤️❤️
जवाब देंहटाएंवाह्ह्हह्ह्ह्ह 💐
जवाब देंहटाएं