ग़ज़ल ©प्रशान्त

 मुक़द्दर हर क़दम पर इक नया तूफ़ान देता है l

ख़ुदा जब-जब परख़ता है, नई पहचान देता है ll


उतर जाता है चेहरा और आंखें सच बताती हैं...

अगर झूठी सफाई झूठ पर इंसान देता है ll


सनम से दूर जाने का हमारा दिल नहीं करता...

ये पापी पेट ही है जो सफ़र वीरान देता है ll


ये सारी दौलतें , ये रौनकें फीकी तेरे आगे....

मेरे बच्चे तेरा दीदार ही मुस्कान देता है  ll


हमें ये नौकरी परदेस तक भी खींच लाई है....

नफ़ा का बे-वजह अरमान भी नुक़सान देता है ll


मैं अपने साथ अपने देश की मिट्टी ले आया हूँ....

सुकून-ए-दिल, सुकून-ए-रूह हिन्दोस्तान देता है ll


© प्रशान्त

टिप्पणियाँ

  1. बेहतरीन मर्मस्पर्शी गज़ल 👌👌👌👏👏👏

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद तुषार जी 🙏🙏🙏

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