आजादी ©सरोज गुप्ता

 जब भारत माँ थी पराधीन

थे कष्ट भरे वो दिन कितने

आँखों में माँ के लालों के

बस आजादी के थे सपने , 

जब जलियांवाला कांड हुआ

माता की छाती छेद गया

कितने बेटों के सीने को

गोरी बर्बरता बेध गया , 

माँ के बलिदानी बेटों का

तब धीरज मन का डोला था । 

आजादी लेकर मानेंगे

ये बच्चा बच्चा बोला था ।। 


अठ्ठारह सौ सत्तावन में

जब बिगुल बजाये थे मंगल 

कितने बाँके सर बाँध कफ़न

तब निकल पड़े करने दंगल , 

पंजाब केसरी लाला जी

साइमन विरोध पुरजोर किये

दामोदर, तिलक, गोखले भी

निज सर्वस से मुख मोड़ लिये , 

आजादी के मतवालों का

जब रँगा बसन्ती चोला था । 

आजादी लेकर मानेंगे

ये बच्चा बच्चा बोला था ।। 


बिस्मिल के गीत देश हित में

जन जन में फूँके इंकलाब

बटुकेश्वर दत्त,राजगुरू भी

मन में दहकाये क्रांति आग , 

वो वीर भगत सिंह ही तो थे

जो हँस कर चूमें फाँसी को

लक्ष्मी बाई खुद जीते जी

छूने ना दी निज झाँसी को , 

प्राणों पर खेल चंद्रशेखर 

काकोरी खज़ाना खोला था । 

आजादी लेकर मानेंगे

ये बच्चा बच्चा बोला था ।। 


पंद्रह अगस्त सन् सैतालिस

वो शुभ दिन कितना पावन था

भारत माता आजाद हुईं

वो मंज़र बड़ा सुहावन था , 

आखिर वीरों की कुर्बानी 

बेकार नहीं होने पाई

अम्बर में दीप जले जगमग

नदियाँ खुशियों से लहराई , 

तब लाल किले पर राष्ट्र ध्वजा

फहरा के तन मन बोला था । 

जन गण मन का ये राष्ट्र गान

तब बच्चा बच्चा बोला था ।। 

© सरोज गुप्ता

टिप्पणियाँ

  1. देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत उत्कृष्ट सृजन 👌👌👌👏👏👏🇮🇳💙🙏

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  2. बहुत ख़ूबसूरत …जय माँ भारती 🙏🏻🇮🇳🇮🇳

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