यार ©गुंजित जैन
खूबसूरत हर तराना यार से,
हर ख़ुशी का हर बहाना यार से।
रास्ते मेरे यहाँ गुम हैं कहीं,
मंज़िलों का है ठिकाना यार से।
अक़्स दिखता है मुझे मेरा वहाँ,
आइना कोई पुराना यार से।
शायरों की शायरी है दोस्ती,
ये मिज़ाज़-ए-शायराना यार से।
मुश्किलों में साथ हर दम है खड़ा,
है मेरा सारा ज़माना यार से।
इस जहां में दर-ब-दर हूँ ढूंढता,
पर नहीं रिश्ता सुहाना यार से।
अश्क़ "गुंजित" वो चुरा लेता सभी,
बेवजह ही मुस्कराना यार से।
©गुंजित जैन
Bahut Sundar Bhai ❤️👌
जवाब देंहटाएंगज़ब लिखे भाई जी,मित्रता दिवस की हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर 👌👌👌
जवाब देंहटाएंसादर आभार मैम🙏🙏
हटाएंबेहद खूबसूरत बेहद भावपूर्ण गज़ल 👌👌👌👏👏👏
जवाब देंहटाएंसादर आभार आपका🙏🙏
हटाएंवाह बहुत उम्दा 👏👌
जवाब देंहटाएंसादर आभार🙏
हटाएंवाआह 💐
जवाब देंहटाएंBahut khoob 👌👌👌
जवाब देंहटाएंवाहहहह
जवाब देंहटाएंसादर आभार🙏
हटाएंWaah Bahut sundar 👌
जवाब देंहटाएंबेहतरीन,💐💐💐
जवाब देंहटाएंसादर आभार भाई जी🙏
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