रिश्ते ©प्रशान्त
आज का काम 'ग़ज़ल' कल पे न टाला कीजै l
वक़्त अपनों के लिए रोज़ निकाला कीजै ll
प्यास अहसास-ए-मुहब्बत से नहीं बुझती है...
गुफ्तगू और मुलाक़ात का प्याला कीजै ll
आशिक़ी चांद-सितारों में नज़र आएगी.....
आसमानों में कभी दिल भी उछाला कीजै ll
हाथ से हाथ मिले, दिल से मिले दिल यारों..
जान-पहचान में अरमान भी पाला कीजै ll
नफ़रतें और जलन ख़ाक करेंगे सब कुछ...
ख़ास रिश्तों में छिपा प्यार खँगाला कीजै ll
महफ़िल-ए-इश्क़ सजा करके शमा-परवाने....
कह गए ख़ुद को जला करके उजाला कीजै ll
~© प्रशान्त 'ग़ज़ल'
Adbhut Sirji 👌👌❤️
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत गज़ल.. खास रिश्तों में छिपा प्यार खंगाला कीजै.. 👌👌👌👌
जवाब देंहटाएं🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा👌
जवाब देंहटाएंबेहतरीन बेमिसाल गज़ल 👌👌👌👏👏👏
जवाब देंहटाएंवाह्ह्ह्ह 💐
जवाब देंहटाएंखूबसूरत ग़जल 👌🏼
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत गजल 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
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