ये मौसम ©सुचिता

 ये बारिश का मौसम गुलाबी -गुलाबी 

समाँ है  नशीला  , शराबी -शराबी  । 


निगाहें भी तेरी ,सवाली - सवाली …

तो चेहरा मिरा भी ,किताबी- किताबी ।


अदा हाय ! ये शोख़ियाँ तेरी जानाँ ..

दिलो में करें हैं , ख़राबी -ख़राबी   ।


हैं मदहोश सी , ये हवायें - फ़िज़ायें ..

अज़ब सी है छाई , खुमारी -खुमारी ।


छिटकने लगी हैं ये ख़ामोशियाँ भी 

तेरा इश्क़ तो है , जवाबी -जवाबी ।


झुका लो तुम अपनी नशीली निगाहें..

ये दिल हो न जाए , शराबी -शराबी  ।


फ़साना तो ये इश्क़ -ओ-हुस्न का है 

ये दुनिया बहुत है , सवाली- सवाली ।

  © सुचिता

टिप्पणियाँ

  1. बेहद खूबसूरत बेहद रूमानी गज़ल 👌👌👌👏👏👏

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