गीत-दुर्लभ दर्शन ©संजीव शुक्ला

 अंतराल के बाद कृतार्थ नयन होंगे, 

धन्य भाग फिर से दुर्लभ दर्शन होंगे l

मंच सजेगा गीत शहीदों के होंगे, 

राह ताकते नंगे भूखे जन होंगे ll


फिर से नए विदेशी वाहन का जमघट, 

राहों से हट जायेगा कूड़ा करकट l

मात्र आपके दिव्य रूप के दर्शन से, 

कष्ट मिटेंगे कट जाएंगे सब संकट l

कलश सजेंगे फूलों से स्वागत होगा, 

थाल सजी अक्षत रोली चंदन होंगे ll


फिर श्रीमुख से मधुर बोल मुखरित होंगे, 

सुंदर शब्द सुगंध सुमन विसरित होंगे l

श्वेत शुभ्र परिधान मंद मुस्कान मधुर,

छले गए जन फिर से आनंदित होंगे l

फिर से झूठे स्वप्न दिखाए जायेंगे, 

भाषण में फिर मिथ्या आश्वासन होंगे ll


धर्म जाति का राक्षस लाया जायेगा, 

सन्मुख संकट छद्म दिखाया जायेगा l

रोटी शिक्षा काम बीमारी भूलें जन, 

फिर से कुटिल कुचक्र चलाया जायेगा l

प्रलय निकट है,कष्ट निवारक एक प्रभू, 

मात्र दुखी जन के संकट मोचन होंगे ll


धन्य भाग हम अनुगामी कहलायेंगे, 

सुन भावुक उद्गार मगन हो जायेंगे l

शोषण मँहगाई बेकारी भूल सभी, 

फिर से प्रभु की जय जयकार लगाएंगे l

शत्रु मान कर द्वेष पड़ोसी से होगा,  

संशय मिट जायेंगे सब धन-धन होंगे ll

©संजीव शुक्ला 'रिक्त'

टिप्पणियाँ

  1. अत्यंत उत्कृष्ट एवं प्रभावशाली सृजन 👌👌👌👏👏👏🙏🙏

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  2. बहुत उत्कृष्ट 👌👌🙏🏻👏🏻👏🏻

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