मुश्किल है ©सौम्या शर्मा

 टूटे दिल की पीर बताना मुश्किल है!

हम तो हैं आसान जमाना मुश्किल है!!

 जिस रस्ते ने गहरे जख्म दिए हमको!

उस रस्ते फिर वापस जाना मुश्किल है!!

मेरा तो बस एक ठिकाना दिल उनका!

दूजा कोई मकां बनाना मुश्किल है!!

किसने कितने घाव दिए  नादां दिल को!

अब तो ये अनुमान लगाना मुश्किल है!!

हमको अब आवाज लगाना मत,देखो!

आज हमारा लौट के आना मुश्किल है!!

आज हमारा दिल थोड़ा मुस्काया है!

आज हमारा अश्क बहाना मुश्किल है!! 

                     ©सौम्या शर्मा

टिप्पणियाँ

  1. वाह्हहहहहहहह , बेहद ख़ूबसूरत ग़ज़ल 💐💐💐💐💐👏👏👏👏👏

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बहुत धन्यवाद मैम 🙏

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कविता- ग़म तेरे आने का ©सम्प्रीति

ग़ज़ल ©अंजलि

ग़ज़ल ©गुंजित जैन

पञ्च-चामर छंद- श्रमिक ©संजीव शुक्ला 'रिक्त'