धुंध (गीतिका) ©नवल किशोर सिंह
धुंध आँखों से हटाने कौन आयेगा।
पंथ को उज्ज्वल बनाने कौन आयेगा।
घात के खड्डे भरे हैं पंथ प्रांगण में,
दीप ले खड्डे बताने कौन आयेगा।
चाँद खंडित पूर्णिमा में घोर संशय है,
राहु को नभ से भगाने कौन आयेगा।
स्वप्न सिरहाने सहमते रात सोयी सी,
नींद से उसको जगाने कौन आयेगा।
भेंट चढ़ते दीमकों की ग्रन्थ के पन्ने,
धूप अक्षर को दिखाने कौन आयेगा।
-©नवल किशोर सिंह
🙏🙏👏👏उत्कृष्ट गीतिका सर
जवाब देंहटाएंUmda rachna Sirji👌👌
जवाब देंहटाएंअति सुंदर गीतिका 👌👌👌👏👏👏🙏
जवाब देंहटाएंआभार तुषार
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुंदर भाव ..... वाह्हहहहहह सर
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुंदर भावपूर्ण गीतिका सर जी 👌👌👌💐💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीतिका सर जी
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