गीत - शागिर्द मुहब्बत का ©गुंजित जैन

कुछ भी न छुपाओ तुम, हर बात बताओ ना,
शागिर्द मुहब्बत का, तुम प्रेम सिखाओ ना।

अब रोज़ कहीं तुम में,
महताब दिखे मुझको, 
इन उठती निगाहों से,
इक ख़्वाब दिखे मुझको,
पर्दा ये हटाओ ना, अब चाँद दिखाओ ना।

तुम साथ नहीं थे जो,
तो चूर हुआ था मैं,
उस रोज ज़रा खुदसे
यूँ दूर हुआ था मैं,
अब पास आ जाओ ना, दूरी ये मिटाओ ना।

हर रोज़ दरीचे पर, 
अब धूप नहीं आती,
ये भोर की लाली भी
अब गीत नहीं गाती,
तुम तम को भगाओ ना, इक दीप जलाओ ना।

तुम बांध लो अब मुझको,
नादान सी कविता में,
अब डूब रहा हूँ मैं,
इस इश्क़ की सरिता में,
तुम आज तो आओ ना, मुझको भी बचाओ ना।

बेडौल हुआ गुंजित,
आकार बनो आकर,
नाकाम से जीवन में,
संसार बनो आकर,
मुझको अपनाओ ना, मनमीत बनाओ ना।
     ©गुंजित जैन

टिप्पणियाँ

  1. बेहद खूबसूरत बेहद रूमानी गीत 👌👌👌👏👏👏

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  2. रूमानियत से भरपूर सुंदर गीत गुंजित 👌👌👌💐💐💐

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