टूट ©रमन यादव

 टुकड़ों में मैं बिखर रहा हूँ,

टूट रहा हूँ धीरे-धीरे,

लाख मिलाऊं तान दिलों की,

चूक रहा हूँ धीरे-धीरे।


ख़्वाब प्रेम का ख़्वाब हसीँ है,

डगर प्रेम की मगर कठिन है,

बेशक कुंड है प्रेम सुधा का,

जलन प्रेम की मगर कठिन है।


मुझ से जब जब वो रूठें,

रोने का मन करता है,

आँसू से कर तकिया गीला,

सोने का मन करता है।


मेरे हिस्से की सब खुशियां,

नाम उन्हीं के हो जाएं,

टकराते हैं जो जश्न में,

जाम उन्हीं के हो जाएं।


हाथ जोड़ कर विनती है कि,

सम्मान ताक पर मत रखना,

हर खता पर तुम दंड देना,

मान ताक पर मत रखना।

           ©  रमन यादव

टिप्पणियाँ

  1. अत्यंत भावपूर्ण एवं हृदयस्पर्शी 👌👌👌👏👏👏

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  2. आप सभी का हृदयतल से धन्यवाद

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