ग़ज़ल - तो क्या करें ©रानी श्री
साथ तेरे गुनगुनायें ना अगर,तो क्या करें,
आज हाल-ए-दिल बतायें ना अगर,तो क्या करें ।
सांस कहती जा रही इस जिस्म को अब अलविदा,
रूह अब अपनी जलायें ना अगर,तो क्या करें।
इम्तहानों से थके हारे हुए हैं आज हम,
इश्क़ को अब आज़मायें ना अगर,तो क्या करें।
है हुआ फ़िर आज कोई ख़ाक परवाना कहीं
उस शमा को भी बुझायें ना अगर,तो क्या करें।
खामखां हम हैं परेशां कह रही है ये ज़मीं
आसमां पर हक जमायें ना अगर तो क्या करें।
जान ले जाती हमारी हैं अदाएँ हुस्न की,
जान तुझपर हम लुटायें ना अगर तो क्या करें।
शाम से भी कह दिया है जल्द आने के लिये
देख तुझको मुस्करायें ना अगर,तो क्या करें।
रात भी मेरी तरह ही, आज है इतरा रही,
चांद से तुमको छुपायें ना अगर,तो क्या करें।
दर्द में लिपटे हुए हैं अश्क ज़ख़्मों को लिये,
ज़ख़्म पर मरहम लगायें ना अगर,तो क्या करें ।
हैं लगे इल्ज़ाम तेरे नाम के हम पर कई,
नाम तेरा भी फ़सायें ना अगर,तो क्या करें।
जन्नतें भी नाम कर दे आज 'रानी' के ख़ुदा,
फ़िर वहाँ तुझको बुलायें ना अगर,तो क्या करें।
©रानी श्री
😍😍😍😍😍😍😍खूबसूरत
जवाब देंहटाएं🙈🙈
हटाएंBahut Sundar 😍👌👌
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंबेहद खूबसूरत गज़ल👌👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत खूब 🤩🤩
जवाब देंहटाएंआभार मैम
हटाएंबेहद खूबसूरत रूमानी गज़ल 👌👌👌👏👏👏
जवाब देंहटाएंआभार दीदी
हटाएंबेह्तरीन ग़ज़ल 💐
जवाब देंहटाएं😊😊😊
हटाएंबेहद खूबसूरत गजल रानी....❤️❤️👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👍👍
जवाब देंहटाएंआभार
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जवाब देंहटाएंबेहतरीन।👏👌✨
जवाब देंहटाएंआभार मैम
हटाएंअहा ❤️❤️
जवाब देंहटाएंआभार भाईजी
हटाएं👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻🙌👌👍❤️❤️❤️❤️❤️❤️😊
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