नजर नहीं नजरिया बदले © नवल किशोर सिंह

 मापनी-2122 2122 2122 212


#नजर नहीं नजरिया बदले


जोश भर दे जिंदगी में एक जरिया चाहिए।

देखना है हाल जग का तो नजरिया चाहिए।


है नजर वाले बहुत कुछ ऐनकों के साथ भी,

दीद दुल्हन के लिए हटनी झँपरिया चाहिए।


चाँद तो निकला गगन में रात लेकर चाँदनी,

चाँद का पर भान करने को अँधरिया चाहिए।


रेत में भी डूब जाते आँख में बसते सपन,

फिर तसल्ली में बहाता धार दरिया चाहिए।


पात सारे झड़ चुके हैं शाख भी मुरझा रही,

आजमाने छाँह को फिर दोपहरिया चाहिए।


(झँपरिया- डोली का ओहार)


-© नवल किशोर सिंह

टिप्पणियाँ

  1. वाह बहुत सुंदर गज़ल सर, सही कहा आपने, देखना है हाल जग का तो नजरिया चाहिए 👌👌👌👏👏👏👏

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  2. बेहतरीन मर्मस्पर्शी गज़ल 👌👌👌👏👏👏🙏

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