बेटी दिल का एक कोना © माधुरी मिश्रा
इतना आसान कहाँ इस दुनिया में तनया होना,
बारहा रिक्त रह जाए बेटी दिल का एक कोना!
कभी रिश्तों की ओट में तो कभी समाज के नाम,
ख़्वाहिशों को ताक पर टाँग दें हर बेटी अभिराम।
आसान कहाँ है यारों बेटी-सा त्याग कर पाना,
परिणय सुत्र में बंधकर पीहर से विदा हो जाना!
सच होने से पहले ही सपने को हृदय में सुलाना,
स्पर्श नहीं कर पाए कोई बेटी दिल का वह कोना।
प्रेम, स्नेह के संग-संग नित नई नसीहत ओढ़,
कितनी बार बढ़े बेटी दोराहे निज इच्छा छोड़।
अपनों की ख़ातिर स्वाधिकारों को अर्पण करना,
बिन तिल और चावल ही बेटी का तर्पण करना।
आँखों से बहता उसके तपकर पिघलता सोना,
बंद तिजोरी-सा रहता बेटी दिल का एक कोना।
© श्रीमती माधुरी मिश्रा 'मधु'
भावपूर्ण👌👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद आपका गुंजित जी।😊🙏🙏
हटाएंAmazing ma'am
जवाब देंहटाएंNo one can replace daughter role in life👌👌👌
Tysm Tushar ji... Yes true... 👏🙏✨
हटाएंबेहद भावपूर्ण रचना 👌👌👌💐💐
जवाब देंहटाएंधन्यवाद प्रिय सरोज जी।😊🙏🙏
हटाएंSupperb...👏👏👏👏🌹
जवाब देंहटाएंधन्यवाद प्रिय कांचन।😊😍🌹
हटाएंअत्यंत भावपूर्ण एवं हृदयस्पर्शी रचना 👌👌👌👏👏👏
जवाब देंहटाएंधन्यवाद प्रिय दीप्ति जी।😍🙏🙏
हटाएंबहुत खूबसूरत रचना 👏👏🤩
जवाब देंहटाएंधन्यवाद प्रिय निशा जी।😊🙏🙏
हटाएंधन्यवाद आदरणीय।🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंआप सभी का हृदयतल से धन्यवाद
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