आल्हा छन्द ©अनिता सुधीर

 तिथि तृतीय बैशाख मास की, पक्ष उजाला शुभ दिन मान।

हरि लक्ष्मी पूजन फलदायी,विधि विधान से करिये दान।।


पावन मनभावन शुभ दिन है, अक्षय तृतीय का त्योहार।

जन्मोत्सव भृगुनन्दन का है,अक्षत हो जग घर परिवार।।


त्रेता युग में ऋषि घर जन्में, पीताम्बर के छठ अवतार।

परशुराम हर युग में आए ,करने मानव का उद्धार।


ब्राह्मण कुल में जन्म लिए थे,कर्म किये क्षत्रिय अनुसार।

अस्त्र परशु शंकर का रख कर,करते दुष्टों का संहार।।


शास्त्र निपुण थे राम अनंतर,पाए अक्षय का वरदान।

भार्गव कुल के आज्ञाकारी, कहलाये ऋषि मुनि भगवान।।


रक्त शिराओं में धधका था,करने अन्यायी का नाश।

वैदिक संस्कृति चारो दिश हो,फैले भू पर ज्ञान प्रकाश।।


सत्य सनातन के थे रक्षक,कब सहते थे वो अपमान।

ध्वज वाहक बन आरम्भ किया,नारी जागृति का अभियान।।


त्रेता द्वापर हर युग में थे,अब कलयुग में लें अवतार।

शास्त्र ज्ञान जन जन को दें अब,जग का मिट जाए अँधियार।।


                                         ©अनिता सुधीर आख्या

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