सबकी होली एक जैसे नही होती ©तुषार पाठक

 होली ख़ुशी उल्लास का त्यौहार है। पर कितने ही लोगो के लिए यह एक त्यौहार का दिन नही बल्कि एक आम दिन की तरह होता है। होलिका दहन का दिन था, अभिराम को यह ज्ञात नही था कि, आज होलिका दहन है, उसे यह बात देर रात 10 बजे किसीके व्हाट्सअप  पर स्टेटस देखकर पता चली । तो वह फ्लैट पर दोस्तों के साथ कल के लिए योजना बनाने लगा। बाद में पता चला की कल शायद वह व्यस्त है। कल सुबह होते ही बिना कुछ खाए  वह कॉलेज के लिए निकल गया l क्लास  ख़त्म होते 12 बज गया। वह घर आया आते हुए उसने अपने लिए कुछ फल ले लिये क्योंकि आज उसके वहाँ खाना बनाने वाली छुट्टी  पर थी । 1 बजे उसे ईमेल आता है कि आपका आज ऑनलाइन इंटरव्यू 4 बजे है , घर आते है वह कुछ फल खाता है, और उसके बाद वह कॉल पर सबको विश करता है, वह जिसको जिसको फ़ोन करता है ,  कोई भी उससे अच्छे से बात नही करते, शायद इसमें गलती किसीकी भी नही सभी अपने कार्यो में व्यस्त है, या वह अपना दिन,  घर पर अच्छे से मना रहे है, यही सोच कर वह अपने मन को दिलासा देता है। उसके बाद वह इंटरव्यू  के लिए तैयार होने लगता है । इंटरव्यू ख़तम होते 4:45 हो जाता है। जैसे ही मोबाइल खोलता है सभी लोगो को स्टोरी, स्टेटस पर अपने ख़ुशी को साझा करते देखता है। सभी अपने घर पर बने तरह तरह के पकवान, गुलाल अबीर और ख़ुशी से भरे चहरे दिखाई देते है।तरह तरह पकवान देखकर वह सोचता है कि उसे अभी तक 1-2 फल और पानी नसीब हुआ है। और उसके चेहरे पर अभी तक कोई रंग का एक निशान भी नही है।तरह तरह के पकवान देखकर वह सोचता है कि त्यौहार के दिन तो कुछ अच्छा खाया जाए, तो वह निश्चय करता है कि रात को खाना बाहर ही आर्डर कर देगा । जैसे ही वह ऑनलाइन आर्डर करने जाता है तब देखता है कि आधे से ज्यादा दुकान बंद है। जो दुकाने खुली है उसका दाम उसके जेब खर्च से  चार गुना ज्यादा है। तो आख़िर वह अपनी  किस्मत से हार कर चावल दाल और आचार खा कर सोने जाता हैं।सोते हुए सोचता है आज का यह  कष्ट और उसके कर्म उसकी  आने वाले ज़िन्दगी को ख़ुशी के रंगों से भर देगी। उसके जीवन मे भी अलग अलग रंग की तरह अलग अलग ख़ुशियाँ आएँगी । उसके जीवन में फिर रोज़ त्यौहार  होगा।

यह सोचते सोचते वह सो गया।

                    @तुषार पाठक

टिप्पणियाँ

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    1. तुषार जी कहानी ठीक ठाक है मगर इसकी बुनावट में थोड़ी और मेहनत करते तो बेहतरीन कहानी हो जाती। ऐसे ही लिखते रहें बहुत बहुत शुभकामनाएं!
      -जय कुमार सिंह सुखनगर पूर्णिया

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  3. बहुत अच्छी कहानी ..बिल्कुल सही 👌👌👌👌👌

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  4. बहुत खूब तुषार जी ग़ज़ब का लेखन और साथ ही साथ समाज के लिए संदेश भी भाई वाह 👌🏻 👌🏻

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