प्रेम का गणित ©रमन यादव

तुम में मुझको जोड़ो या फिर,

मुझमें खुद को जोड़ कर देखो,

'तुम-मैं' 'मैं-तुम' हम बनते हैं,

चुनर प्रीत की ओढ़ कर देखो।


अश्रु धारा शून्य हुई है,

शून्य दुख से टकरा कर के,

खुशियां रख ली संजो संजो कर,

प्रेम परिधि खिंचवा कर के।


इक-दूजे संग चलते ऐसे,

रेखाएं संपाती मानो,

मेरी सफलता तुम में झलके,

प्रेम हुआ अनुपाती मानो।


राह जुदा जो हुई कभी तो,

संगत कोण से हुए बराबर,

तीर-ए-नज़र से भेद कर दूरी,

तिर्यक रेखा सा छुए बराबर।


सम्पूर्ण मेरे जीवन के वृत्त का,

तुम केंद्र व्यास और त्रिज्या हो,

अन्धकार के दुर्गम पथ पर,

तुम चन्द्र सूर्य तिष्या हो।


'तेरा-मेरा',  'मेरा-तेरा',

नियम लगे न प्यार में,

सब मतभेदों मनभेदों का,

उत्तर बाहों के हार में।


                 @रमन यादव


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