"उस बात को"

 हाथों पर हाथ रखे तुम्हारे,

जन्मदिन वाली उस रात को ।

हा एक अरसा बिता,

अब उस बात को ।।


इस भागमभाग की ज़िन्दगी में,

फुरसत नहीं, ख़्वाब में भी मुलाकात को ।

तुम्हारी ख़्वाहिशो, मेरी मजबूरीयों,

या दोष दू, हालात को ।।


हा एक अरसा बिता,

अब उस बात को ।।

                                  @ alok kumar shaw

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