चले आना मेरे हमदम..चले आना ©सम्प्रीति

 जब भी कभी मिलने का मन हो हमसे तो चले आना,

चले आना यूँ सोच कर के कभी हम भी रात रात भर इंतजार किया करते थे तुम्हारा,

और अगर हम "ना" कह भी दें फिर भी चले आना,

चले आना ये सोच कर के ये "ना" बोलना तुम्हीं से सीखा है और अब बाकी उन पर हक है तुम्हारा,

जिस दिन‌ गुजरे कोई रात तन्हाई में और याद हमारी तड़पाए तो चले आना,

चले आना ये सोच कर के जाने कितनी रातें हमने भी काटी होंगी यूँ ही तन्हाइयों में बिस्तर पर करवटें बदल‌ बदल‌ के,

जिस दिन‌ "मुझे मिलना है" छोड़कर "क्या वो मिलेगी" सोचने लगो तो चले आना,

चले आना बस इतना समझकर की जाने कितने ही पल तुमसे मिले बगैर काटे हैं हमने,

जिस दिन अपनी मर्जी छोड़कर हमारी मर्जी को समझने लगो तो चले आना,

चले आना ये सोच कर के चलो रिश्ते पे पड़ी गर्दिश को साफ करते हैं दोनों मिलके,

जिस दिन‌ "मैं" को छोड़ "हम" कहने लगो तो चले आना,

चले आना ये सोच कर के आज भी तुम्हारी हमसफर बीच सफर में बैठी है इंतजार में सिर्फ तुम्हारे।

                                                                                 ©सम्प्रीति

टिप्पणियाँ

  1. आप सभी का हृदयतल से धन्यवाद

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