बढ़ते चल ©गोपाल

 चलते रहना ,सीखते रहना

हर पल आगे बढ़ते रहना।


छाव मिले या न मिलें 

हर पल धुप लेते रहना


स्नेह से सुखः बाटते रहना 

प्यार से दुःख भी बाटते रहना


कुछ मान लिए ,कुछ अपमान लिए

विष घुट पीते रहना...............


परहित में परिश्रम करते रहना,

स्वपन राज को साकार करते रहना।


"मैं" से "तुम"  मिटाते रहना ,

परिवार हमारा बनाते रहना।


गति रुके नही ,पाँव चलते रहें,

इस उज्ज्वलता का दीप जलता रहें।


सूरज का तेज लिए ,चाँद का शीतल लिए

हर पल आगे बढ़ते रहना...।।


पहाड़ सा ह्रदय हो अपना,

अम्बर सी छाती हो अपनी ..


अपने से पराया न हो ,

पराया दर्द हो अपना


आसमाँ में चमकता रहें ,सितारा हमारा

हर पल ,कुछ सीखते रहना ,कुछ स्वीकारते रहना


अनुभव से अनुभूति हो..

आवश्यक्ता से अविष्कार हो..


पृथ्वी पर मंगल हो 

मंगल बार भारत हो..।


चलते रहना ,सीखते रहना

हर पल आगे बढ़ते रहना।

                                      ©sh_gopal

टिप्पणियाँ

  1. सुंदर एवं सार्थक संदेश देती हुई रचना 👌👌👌💕

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  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  3. आप सभी का हृदयतल से धन्यवाद

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